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कविता में एक तस्वीर में बेहद क्षणिक पैरों का क्या मतलब है?

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कविता में एक तस्वीर में बेहद क्षणिक पैरों का क्या मतलब है?
कविता में एक तस्वीर में बेहद क्षणिक पैरों का क्या मतलब है?

वीडियो: कविता में एक तस्वीर में बेहद क्षणिक पैरों का क्या मतलब है?

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Anonim

अत्यंत क्षणभंगुर पैर - इस मुहावरे में मनुष्य का वर्णन करने के लिए पैर शब्द का प्रयोग किया जाता है। … इस मुहावरे का मतलब है कि मानव जीवन स्थायी नहीं बल्कि अस्थायी है। इंसानों को एक न एक दिन मरना ही पड़ता है लेकिन समुद्र स्थायी है।

अत्यंत क्षणभंगुर पैरों को धोते हुए समुद्र द्वारा कवि क्या सुझाव देना चाहता है?

इस रेखा का अर्थ है कि प्रकृति अमर है और नश्वर मनुष्यों को बाहर कर देगी…. क्षणिक पैर मानव की मृत्यु दर को दर्शाता है।

कवि कविता में किसके क्षणिक पैरों की बात कर रहा है, एक तस्वीर वे क्षणिक क्यों हैं?

कवि अपनी मां के पैरों का जिक्र कर रही है जैसा कि फोटो में दिख रहा है। वे क्षणिक हैं क्योंकि उनकी माँ अब जीवित नहीं हैं।

तस्वीर कौन क्लिक कर रहा था?

तस्वीर एक गत्ते की तस्वीर थी जिसे कवि की मां के चाचा ने क्लिक किया था।

कविता में एक तस्वीर में क्या विडंबना है?

तस्वीर विडंबना यह है कि एक डिस्फ़ोनिक है। तस्वीर में मां के खुश होने की स्थिति और कवि की मां को खुश अवस्था में देखने की खुशी दोनों ही एक अंधेरे पक्ष से जुड़ी हैं।

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