विद्वान बहस करते हैं कि वास्तव में ये बड़े पैमाने पर पलायन कब शुरू हुआ-कुछ कहते हैं 8000-5000 ईसा पूर्व के रूप में, जबकि अन्य इसे 3000 ईसा पूर्व के बाद काफी देर से कहते हैं-लेकिन यह स्पष्ट है कि तीसरी सहस्राब्दी (3000-2000 ईसा पूर्व) भारत-यूरोपीय लोग आगे बढ़ रहे थे।
भारत-यूरोपीय प्रवास कब हुआ था?
भारत-आर्य लगभग 1800–1600 ईसा पूर्व ईरानियों से अलग हो गए, इसके बाद इंडो-आर्यन समूह लेवंत (मितानी), उत्तरी भारत (वैदिक लोग, सी) में चले गए। 1500 ईसा पूर्व), और चीन (वुसुन)। ईरानी भाषाएँ सीथ्स के साथ और ईरान में मेड्स, पार्थियन और फारसियों के साथ सीए से फैल गईं।
भारत-यूरोपीय प्रवास का क्या महत्व था?
स्टेप से बड़े पैमाने पर प्रवासन ने इंडो-यूरोपीय भाषाओं को यूरोप में लाया। आज लगभग तीन अरब मनुष्य इंडो-यूरोपीय परिवार से संबंधित भाषाएं बोलते हैं। इन भाषाओं के आपस में जुड़े होने का कारण दो सौ से अधिक वर्षों से एक रहस्य बना हुआ है।
भारत-यूरोपीय लोग ब्रिटेन कब पहुंचे?
1500 ई.पू. - इंडो-यूरोपियन अभी तक इंग्लैंड नहीं पहुंचे हैं। सेल्ट्स लगभग लक्ज़मबर्ग और जिनेवा के बीच के क्षेत्र में हैं। 500 ई.पू. -- सेल्ट्स अपनी भाषा (इंडो-यूरोपियन की एक शाखा) को इंग्लैंड ले आए हैं। लगभग 400 ईसा पूर्व अपने चरम के बाद, सेल्ट्स गिरावट की लंबी अवधि शुरू करते हैं, जो आज भी जारी है।
भारत-यूरोपीय लोग इटली कब जाने लगे?
लैटिन एक इंडो-यूरोपीय लोग थे जो संभवत: कांस्य युग (1200-900 ईसा पूर्व) के दौरान इतालवी प्रायद्वीप में चले गए थे।