शेल शॉक पीड़ितों ने खुद को सशस्त्र बलों के चिकित्सा अधिकारियों की दया पर पाया। "भाग्यशाली" लोगों को सम्मोहन, मालिश, आराम और आहार उपचार सहित कई तरह के "इलाज" के साथ इलाज किया गया था।
क्या शेल शॉक स्थायी है?
शेल शॉक मूल रूप से 1915 में चार्ल्स मायर्स द्वारा उन सैनिकों का वर्णन करने के लिए गढ़ा गया एक शब्द है जो अनजाने में कांप रहे थे, रो रहे थे, भयभीत थे, और स्मृति में लगातार घुसपैठ कर रहे थे। यह आज मनोरोग अभ्यास में इस्तेमाल होने वाला शब्द नहीं है लेकिन दैनिक उपयोग में रहता है।
शेल शॉक कितने समय तक चल सकता है?
शेल-शॉक से दूर विकास
WWII और कोरियाई युद्ध के बाद अन्य चिकित्सकों के काम ने सुझाव दिया कि युद्ध के बाद के लक्षण स्थायी हो सकते हैं। अनुदैर्ध्य अध्ययनों से पता चला है कि लक्षण छह से 20 साल तक कहीं भी बने रह सकते हैं, अगर वे बिल्कुल भी गायब हो जाते हैं।
शेल शॉक के दीर्घकालिक प्रभाव क्या हैं?
शब्द "शेल शॉक" स्वयं सैनिकों द्वारा गढ़ा गया था। लक्षणों में शामिल हैं थकान, कंपकंपी, भ्रम, बुरे सपने और बिगड़ा हुआ दृष्टि और श्रवण। इसका अक्सर निदान तब किया जाता था जब एक सैनिक काम करने में असमर्थ होता था और कोई स्पष्ट कारण नहीं पहचाना जा सकता था।
शेल शॉक का इलाज क्या था?
प्रथम विश्व युद्ध में यह स्थिति (तब शेल शॉक या 'न्यूरस्थेनिया' के रूप में जानी जाती थी) एक ऐसी समस्या थी कि 1915 में फ्रांसीसी डॉक्टरों द्वारा 'फॉरवर्ड साइकियाट्री' शुरू की गई थी। कुछ ब्रिटिश डॉक्टरों ने इलाज के रूप में सामान्य संज्ञाहरण की कोशिश की(ईथर और क्लोरोफॉर्म) , जबकि अन्य बिजली के उपयोग को प्राथमिकता देते हैं।